- 15 Posts
- 124 Comments
कामनवेल्थ गेम मीठी यादों के साथ समाप्त हो गए मगर ये एहसास दिला गए
कि हम आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। साइना ने देश के लिए गोल्ड मेडल
जीता तो गट्टा ने भी जीता मगर गट्टा को सम्मान कम मिला। मीडिया ने भी साइना को ही
हाइलाइट किया। खैर यह तो होता ही रहता है। प्रतिभाओं को
तो संघर्ष झेलना ही पड़ता है यह सिर्फ खेल ही नहीं सभी जगहों
पर होता है, खेल हों या राजनीति। हम चाहे स्कूल में रहे हों या
नौकरी के दौरान अपने संपादकीय कक्ष में पक्षपात तो हमें भी
झेलना ही पड़ता है। जो थोड़ा कम परिश्रमी होते हैं वे चापलूसी
ज्यादा कर लेते हैं। जो मेधावी होते हैं या सर्व गुण सम्पन्न होते हैं वे
थोड़ी भी चापलूसी कर लेते हैं तो उनका काम चल जाता है। कई
बार तो घरों में मां-बाप भी अपने बच्चों से पक्षपात कर जाते हैं।
घरों में ज्यादातर मामलों में कमजोर के साथ मां-बाप होते हैं जबकि
बाहर ज्यादातर सीधे और कमजोर लोग पिटते हैं। कई बार हम
अपने बास की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते और बाद में कहते हैं।
मेरी राह में रोड़ा अटकाया जा रहा है। हो सकता है गट्टा ने कभी
अपने फेडरेशन अध्यक्ष की बात न मानी हो जिसकी खुंदक वह
निकाल रहा हो। अनदेखी उपेक्षा और पक्षपात तो होता ही रहता है
और होता रहेगा मगर जहां देश का सम्मान जुड़ता हो वहां तो
अवरोध को रोकना ही होगा। कामनवेल्थ खेलों के शुरू होने से
पहले इसकी जितनी निंदा की गई अगर वह न की जाती तो हो
सकता है खेल शुरू हो जाते और व्यवस्थाएं अधूरी रह जातीं
और बाद में देश की किरकिरी होती मगर मीडिया ने निंदक की
अपनी पूरी भूमिका ठीक से निभाई। अब वहा मीडिया खेलों के
सफल आयोजन, अद्भुत उद्घाटन और अकल्पनीय समापन के
साथ ही खिलाड़ियों की उपलब्धि के साथ देश को जोड़ कर देख रहा है।
अच्छी बात है देश को आगे बढ़ना है तो सिर्फ क्रिकेट
से थोड़े काम चलेगा। सभी खेलों में आगे निकलना होगा।
खेलों ही क्यों हर क्षेत्र में विज्ञान में उत्पादन में अध्यात्म में और
ताकत में आगे निकलना ही होगा। जो बाधा बने उसे रास्ते से हटाना
भी पड़ेगा। आस्ट्रेलियाई एथलीट कामनवेल्थ खेलों में नंबर वन
रहने के बाद भी क्रिकेट की हार बर्दाश्त नहीं कर पाए, वाशिंग
मशीन पर गुस्सा उतार कर तो गलत किया मगर यह उनके
जुनून को दर्शाता है। तोड़फोड़ न करें मगर जुनून तो होना ही चाहिए।
Read Comments